उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू: लिव-इन जोड़ों के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू
उत्तराखंड- उत्तराखंड में 27 जनवरी को समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code - UCC) लागू होने के नौ दिनों के भीतर, तीन लिव-इन जोड़ों ने अपने संबंधों के पंजीकरण के लिए आवेदन किया है, जिनमें से एक का पंजीकरण मंगलवार तक सफलतापूर्वक हो चुका है। देहरादून के UCC नोडल अधिकारी, अभिनव शाह ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "आवेदन जमा किए गए हैं और उन्हें रजिस्ट्रार द्वारा समीक्षा किया जाएगा। उप-रजिस्ट्रारों और रजिस्ट्रारों के कर्तव्यों के लिए निर्धारित दिशानिर्देश हैं, और निर्धारित समय सीमा के भीतर कार्यवाही की जानी चाहिए।"
UCC के तहत, लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों के लिए अपने संबंधों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। नियमों के अनुसार, लिव-इन में रहने वाले व्यक्तियों को अपने क्षेत्र के रजिस्ट्रार के समक्ष धारा-381(1) के तहत बयान दर्ज कराना होगा। रजिस्ट्रार, यदि आवश्यक समझें, तो 30 दिनों के भीतर जांच प्रक्रिया पूरी करेंगे, जिसके लिए वे आवेदक या अन्य संबंधित व्यक्तियों को समन जारी कर सकते हैं।
यदि लिव-इन में रहने वाले किसी एक व्यक्ति की आयु 21 वर्ष से कम है, तो रजिस्ट्रार द्वारा उसके माता-पिता या अभिभावकों को सूचित किया जाएगा। पंजीकरण न कराने पर अधिकतम छह महीने की जेल या ₹25,000 का जुर्माना हो सकता है, जबकि एक महीने से कम की देरी पर तीन महीने तक की जेल या ₹10,000 का जुर्माना लगाया जा सकता है। गलत जानकारी प्रदान करने पर तीन महीने की जेल, ₹25,000 का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाएं, यदि उनका साथी उन्हें छोड़ देता है, तो वे भरण-पोषण का दावा कर सकती हैं। ऐसी महिलाएं उस क्षेत्र के न्यायालय में दावा दायर कर सकती हैं, जहां वे आखिरी बार अपने साथी के साथ रहीं थीं। इसके अलावा, लिव-इन संबंधों में जन्मे बच्चों को वैध माना जाएगा और उन्हें माता-पिता की संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।
उत्तराखंड सरकार ने UCC के तहत लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण को अनिवार्य करने का निर्णय लिया है, ताकि ऐसे संबंधों को कानूनी मान्यता मिल सके और संबंधित व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा हो सके। इस पहल का उद्देश्य समाज में लिव-इन जोड़ों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उनके कानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करना है।
UCC के लागू होने के बाद, राज्य में लिव-इन जोड़ों के पंजीकरण की प्रक्रिया को सुगम और पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा भी प्रदान की गई है। इससे जोड़े आसानी से अपने संबंधों का पंजीकरण करा सकेंगे और कानूनी सुरक्षा प्राप्त कर सकेंगे।
उत्तराखंड में UCC के लागू होने के बाद लिव-इन जोड़ों के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, और आने वाले दिनों में और भी जोड़े अपने संबंधों का पंजीकरण कराने के लिए आगे आ सकते हैं। यह कदम राज्य में लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता देने और संबंधित व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।