मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी के खिलाफ अपील करेंगे वकील, प्रत्यर्पण का भी करेंगे विरोध
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ऋण घोटाले के मुख्य आरोपी और फरार हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी के दो दिन बाद उनके वकील ने सोमवार को कहा कि वे बेल्जियम में हुई गिरफ्तारी के खिलाफ अपील करेंगे। 65 वर्षीय चोकसी को शनिवार को बेल्जियम पुलिस ने हिरासत में लिया था।
मेहुल चोकसी और उनके भतीजे नीरव मोदी पर 2018 में पीएनबी को 13,500 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी का आरोप है। इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रहे हैं। चोकसी पर यह आरोप है कि उन्होंने बैंक अधिकारियों को रिश्वत देकर लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoUs) और विदेशी लेटर ऑफ क्रेडिट (FLCs) का दुरुपयोग कर बैंकों से बड़ी रकम निकाली।
मेहुल चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "हम उनके बेल्जियम में हुए गिरफ्तार होने के खिलाफ याचिका दायर करेंगे और भारत की प्रत्यर्पण की मांग का भी विरोध करेंगे। मेरे मुवक्किल भगोड़े नहीं हैं। वे गंभीर रूप से बीमार हैं और कैंसर का इलाज करवा रहे हैं।"
अग्रवाल ने यह भी कहा, "हम मानते हैं कि यह एक राजनीतिक मामला है।" उनका इशारा भारत में चोकसी के खिलाफ चल रही कानूनी प्रक्रिया और प्रत्यर्पण की कोशिशों की ओर था।
चोकसी जनवरी 2018 में भारत से भाग गए थे, ठीक उससे पहले जब उनके खिलाफ पीएनबी घोटाले की जानकारी सार्वजनिक हुई थी। इसके बाद से ही भारतीय एजेंसियां उन्हें देश वापस लाने के प्रयास कर रही हैं। नीरव मोदी, जो इस मामले के सह-आरोपी हैं, फिलहाल लंदन की जेल में हैं और उनके खिलाफ भारत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया चल रही है।
पीएनबी ने इस मामले में कई इकाइयों और व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी, जिनमें चोकसी, नीरव मोदी और उनकी कंपनी गीतांजलि जेम्स के प्रबंध निदेशक शामिल हैं। आरोप है कि उन्होंने मुंबई के ब्रेडी हाउस शाखा के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से यह घोटाला अंजाम दिया।
बेल्जियम में चोकसी की मौजूदगी की पुष्टि पिछले महीने वहां के विदेश मंत्रालय ने की थी, जब उन्होंने कहा था कि वे इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। अब चोकसी की गिरफ्तारी के बाद यह मामला फिर से सुर्खियों में आ गया है और भारत सरकार की ओर से प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को तेज करने की उम्मीद की जा रही है।
हालांकि चोकसी की बीमारी और उनके वकील द्वारा मामले को "राजनीतिक" करार दिए जाने से यह स्पष्ट है कि कानूनी लड़ाई लंबी हो सकती है। फिलहाल भारतीय एजेंसियां बेल्जियम सरकार और स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर अगली कार्रवाई की योजना बना रही हैं।