धार्मिक विविधता की स्वीकृति से भारत-इंडोनेशिया में सद्भाव: प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जकार्ता स्थित श्री सनातन धर्मालयम के महा कुंभाभिषेकम समारोह को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि भारत और इंडोनेशिया के बीच का संबंध केवल भू-राजनीतिक नहीं है, बल्कि यह हजारों वर्षों की साझा संस्कृति और इतिहास में निहित है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों में विभिन्न आस्थाओं के लोग जिस सद्भाव के साथ रहते हैं, उसका मूल कारण विविधता की स्वीकृति है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "भारत और इंडोनेशिया की साझेदारी केवल रणनीतिक नहीं है; यह हमारी साझा सांस्कृतिक धरोहर और इतिहास में गहराई से जुड़ी है।" उन्होंने आगे कहा कि दोनों देशों में विभिन्न धर्मों के लोग मिल-जुलकर रहते हैं, जो हमारी विविधता को स्वीकार करने की परंपरा का परिणाम है।
इस अवसर पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो भी उपस्थित थे, जो हाल ही में भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने महा कुंभाभिषेकम जैसे आयोजनों को दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सेतु के रूप में महत्वपूर्ण बताया और कहा कि ऐसे कार्यक्रम हमारी साझा विरासत को मजबूत करते हैं।
प्रधानमंत्री ने महाकुंभ के महत्व पर भी प्रकाश डाला, जिसे उन्होंने एकता का महायज्ञ बताया। उन्होंने कहा, "महाकुंभ देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। यह एकता का महायज्ञ है, जिसमें जाति और संप्रदायों का भेद मिट जाता है।" प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महाकुंभ जैसे आयोजन समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा, "जब संचार के आधुनिक साधन नहीं थे, तब भी कुंभ जैसे आयोजनों ने बड़े सामाजिक बदलावों की नींव रखी।"
प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि महाकुंभ जैसे आयोजन न केवल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा, "महाकुंभ के दौरान लोग आएंगे, जिससे नाविक, पूजा-पाठ कराने वाले, व्यापारी आदि आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे।"
प्रधानमंत्री मोदी ने महा कुंभाभिषेकम जैसे आयोजनों को दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सेतु के रूप में महत्वपूर्ण बताया और कहा कि ऐसे कार्यक्रम हमारी साझा विरासत को मजबूत करते हैं। उन्होंने कहा, "महाकुंभ जैसे आयोजन समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।"प्रधानमंत्री मोदी के इस संबोधन ने भारत और इंडोनेशिया के बीच गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों को एक बार फिर उजागर किया, जो विविधता की स्वीकृति और धार्मिक सद्भाव पर आधारित हैं।