अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय पर अमेरिकी प्रतिबंध: मानवाधिकार संगठनों की कड़ी आलोचना
6 फरवरी 2025 को, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक कार्यकारी आदेश जारी किया, जिसके तहत अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के अधिकारियों और उसके कार्यों का समर्थन करने वाले व्यक्तियों पर संपत्ति जब्ती और प्रवेश प्रतिबंध लगाए गए हैं। मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा है कि ये प्रतिबंध अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे गंभीर अपराधों के लिए जवाबदेही को कमजोर करेंगे और दुनिया भर में पीड़ितों को न्याय से वंचित करेंगे।
राष्ट्रपति ट्रम्प के इस आदेश के तहत, ICC के अधिकारियों की अमेरिकी संपत्तियों को फ्रीज करने और उन्हें तथा उनके परिवारों को अमेरिका में प्रवेश करने से प्रतिबंधित करने का प्रावधान है। यह कदम ICC द्वारा इज़राइल और अमेरिकी नागरिकों के खिलाफ युद्ध अपराधों की जांच के जवाब में उठाया गया है। विशेष रूप से, ICC ने इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ गाजा में कथित युद्ध अपराधों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
ICC ने इन प्रतिबंधों की निंदा करते हुए कहा है कि यह न्यायालय की स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायिक कार्यवाही में हस्तक्षेप करने का अस्वीकार्य प्रयास है। न्यायालय ने यह भी कहा कि वह दुनिया भर में अत्याचारों के पीड़ितों को न्याय प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से समर्थन की अपील की है।
मानवाधिकार संगठनों ने चेतावनी दी है कि ये प्रतिबंध न्याय के लिए काम करने वाले अभियोजकों और न्यायाधीशों के लिए गंभीर परिणाम ला सकते हैं और अंतर्राष्ट्रीय न्याय प्रणाली की प्रभावशीलता को कमजोर कर सकते हैं। HRW के अनुसार, संपत्ति जब्ती और यात्रा प्रतिबंध जैसे उपाय आमतौर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों के लिए होते हैं, न कि उन लोगों के लिए जो पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं।
अमेरिका और ICC के बीच संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं। हालांकि, कुछ अवसरों पर अमेरिका ने ICC के साथ सहयोग भी किया है, जैसे कि दारफुर संकट और लीबिया मामले में। हालांकि, ट्रम्प प्रशासन के दौरान, विशेष रूप से अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों और CIA अधिकारियों के खिलाफ ICC की जांच के बाद, दोनों के बीच मतभेद बढ़ गए हैं।
इन प्रतिबंधों के बाद, ICC की कार्यक्षमता और स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह न्यायालय की स्वतंत्रता और निष्पक्षता की रक्षा के लिए एकजुट होकर खड़ा हो, ताकि दुनिया भर में पीड़ितों को न्याय मिल सके और गंभीर अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जा सके।