अमेरिकी पैनल ने भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर जताई चिंता, जासूसी एजेंसी पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश
अमेरिका के एक पैनल ने मंगलवार को कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों के प्रति व्यवहार लगातार बिगड़ रहा है। इस पैनल ने भारत की बाहरी खुफिया एजेंसी पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है, जिसे सिख अलगाववादियों की हत्या की साजिश में कथित रूप से शामिल बताया गया है। अमेरिकी आयोग ने कहा कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
अमेरिकी आयोग ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह दावा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, भेदभाव और सरकारी नीतियों के माध्यम से उत्पीड़न के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। आयोग ने कहा कि इन घटनाओं को देखते हुए अमेरिका को भारत की खुफिया एजेंसी पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करना चाहिए।
इसके अलावा, रिपोर्ट में वियतनाम की भी चर्चा की गई, जहां धार्मिक मामलों को नियंत्रित करने के लिए सख्त नीतियां लागू की जा रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कम्युनिस्ट शासित वियतनाम ने धार्मिक स्वतंत्रता को सीमित करने के लिए कठोर कदम उठाए हैं, जिसके कारण वहां के धार्मिक समुदायों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। आयोग ने सिफारिश की है कि वियतनाम को "विशेष चिंता वाले देश" (Country of Particular Concern) के रूप में नामित किया जाए।
भारत सरकार की ओर से इस रिपोर्ट पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पहले भी भारत ऐसे अंतरराष्ट्रीय आरोपों को खारिज करता रहा है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि देश में धार्मिक स्वतंत्रता पूरी तरह से सुरक्षित है और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। वहीं, अमेरिका में भारत के समर्थन में भी आवाज उठी है, जहां कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह रिपोर्ट राजनीतिक पूर्वाग्रह से प्रेरित हो सकती है।
इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद भारत-अमेरिका संबंधों पर इसका क्या असर पड़ेगा, यह देखना बाकी है। हालांकि, अमेरिका की इस सिफारिश के बाद अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के लिए नई कूटनीतिक चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।