ब्रिटेन में भारतीय व्यवसायों पर शिकंजा: अवैध कामगारों के खिलाफ कार्रवाई तेज
ब्रिटेन- ब्रिटेन में भारतीय समुदाय के लिए नई चुनौती उत्पन्न हुई है, जहां अधिकारियों ने कई भारतीय रेस्तरां, नेल बार, सुविधा स्टोर और कार वॉश जैसे व्यवसायों को अवैध कामगारों के खिलाफ 'यूके-वाइड ब्लिट्ज' के तहत चिह्नित किया है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी सरकार ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में अवैध आव्रजन पर सख्त कार्रवाई करते हुए 104 भारतीय अवैध प्रवासियों को एक सैन्य विमान से वापस भेजा है।
ब्रिटेन में, गृह सचिव यवेट कूपर ने बताया कि उनके विभाग की इमिग्रेशन एनफोर्समेंट टीमों ने पिछले महीने 828 परिसरों पर छापेमारी की, जो पिछले जनवरी की तुलना में 48 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है। ब्रिटिश सरकार ने अवैध कामगारों और आव्रजन के खिलाफ आक्रामक कदम उठाते हुए उन व्यवसायों पर छापेमारी की है जो अनधिकृत कामगारों को रोजगार देते हैं, और जुलाई से अब तक लगभग 19,000 प्रवासियों को निर्वासित किया है। इन कार्रवाइयों का उद्देश्य आव्रजन को कम करना और हार्ड-राइट पार्टी रिफॉर्म यू.के. के बढ़ते समर्थन को रोकना है। हालांकि, इन कदमों की प्रवासी समूहों और स्वयं लेबर पार्टी के भीतर तीखी आलोचना हो रही है, जो इसे पूर्व की 'शत्रुतापूर्ण वातावरण' नीति के समान मानते हैं।
अमेरिका में, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन ने अवैध आव्रजन पर सख्त रुख अपनाते हुए 104 भारतीय नागरिकों को एक सैन्य विमान से भारत वापस भेजा है। ये निर्वासित हाल के वर्षों में अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश किए थे। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन यात्रा से पहले उठाया गया है। भारत ने अपने नागरिकों की राष्ट्रीयता की पुष्टि के बाद उन्हें स्वीकार करने में अमेरिका के साथ सहयोग किया है।
इन घटनाओं के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ विभिन्न व्यापार और रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए दो दिवसीय यात्रा पर हैं। प्रमुख चर्चाओं में टैरिफ में कटौती, ऊर्जा और रक्षा आयात में वृद्धि, और संभावित व्यापार युद्ध से बचने के उपाय शामिल हैं। दोनों देश अवैध प्रवास और अमेरिका में भारतीय प्रवासियों के साथ व्यवहार के मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे।
ब्रिटेन और अमेरिका में अवैध कामगारों और प्रवासियों के खिलाफ बढ़ती कार्रवाई भारतीय समुदाय के लिए चिंता का विषय है। इन नीतियों के प्रभाव और भविष्य की रणनीतियों पर नजर रखना महत्वपूर्ण होगा, ताकि भारतीय प्रवासियों के हितों की रक्षा की जा सके।