आंध्र प्रदेश में हाथियों के हमले से तीन श्रद्धालुओं की मौत, दो घायल
आंध्र प्रदेश- आंध्र प्रदेश के अननमय्या जिले में मंगलवार तड़के एक दर्दनाक घटना घटी, जहां जंगल में हाथियों के झुंड ने श्रद्धालुओं के एक समूह पर हमला कर दिया। इस हमले में तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि दो अन्य घायल हो गए। यह घटना वाई कोटा से गुंडालाकोना जाने वाले जंगल मार्ग पर उस समय हुई, जब महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में एक समूह तिरुपति के तलकोना मंदिर की ओर जा रहा था।
पुलिस के अनुसार, हमला रात करीब 2:30 बजे हुआ, जब लगभग 30 श्रद्धालुओं का समूह जंगल से होकर मंदिर की ओर बढ़ रहा था। तभी लगभग 15 हाथियों के झुंड ने उन पर अचानक हमला कर दिया। इस हमले में तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
स्थानीय वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह क्षेत्र हाथियों की आवाजाही के लिए जाना जाता है, और संभवतः श्रद्धालुओं का समूह अनजाने में उनके मार्ग में आ गया, जिससे हाथी आक्रामक हो गए। वन विभाग ने स्थानीय निवासियों और श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे जंगल के रास्तों से गुजरते समय सतर्क रहें और समूह में यात्रा करें।
इस घटना के बाद, स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी है और वन विभाग के साथ मिलकर हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। साथ ही, श्रद्धालुओं को जंगल के मार्गों से यात्रा करने से बचने की सलाह दी गई है, विशेषकर रात के समय। महाशिवरात्रि के अवसर पर तलकोना मंदिर में हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस घटना ने स्थानीय समुदाय में शोक और चिंता की लहर पैदा कर दी है। प्रशासन ने मृतकों के परिवारों को हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है और घायलों के इलाज के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि मानव-वन्यजीव संघर्ष की ऐसी घटनाएं अक्सर तब होती हैं, जब मानव गतिविधियाँ वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास में हस्तक्षेप करती हैं। उन्होंने सुझाव दिया है कि जंगल के क्षेत्रों में यात्रा करने वाले लोगों को वन्यजीवों के व्यवहार और उनके मार्गों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए, ताकि इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से बचा जा सके। इस घटना ने वन्यजीव संरक्षण और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया है। प्रशासन और वन विभाग ने मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने का संकल्प लिया है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।