रणवीर अल्लाहबादिया को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम राहत: गिरफ्तारी पर रोक
प्रसिद्ध यूट्यूबर और पॉडकास्टर रणवीर अल्लाहबादिया को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने उनकी गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाते हुए निर्देश दिया है कि उनके खिलाफ कोई नया मामला दर्ज नहीं किया जाएगा। यह फैसला उस समय आया है जब अल्लाहबादिया ने अपने और अपने परिवार को जान से मारने की धमकियों का दावा किया था। अदालत ने उन्हें महाराष्ट्र और असम पुलिस से अपनी जान और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए संपर्क करने की सलाह दी है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि अल्लाहबादिया पूछताछ के दौरान अपने वकील के साथ नहीं रहेंगे और बिना अदालत की अनुमति के देश छोड़कर नहीं जा सकते।
यह मामला 'इंडियाज गॉट लैटेंट' शो में पारिवारिक रिश्तों पर की गई कथित अश्लील और अपमानजनक टिप्पणियों से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने दिल्ली साइबर पुलिस में अल्लाहबादिया, स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में शो को बंद करने और इसके कंटेंट पर कार्रवाई की मांग की गई थी। इसके अलावा, मुंबई में भी अल्लाहबादिया और अन्य के खिलाफ शिकायतें दर्ज की गई हैं, जहां महाराष्ट्र महिला आयोग से सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अल्लाहबादिया, समय रैना और अन्य कंटेंट क्रिएटर्स को तलब किया है। आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने सार्वजनिक मंच पर इस तरह की टिप्पणियों को निंदनीय बताते हुए कहा कि इससे समाज में व्यापक आक्रोश फैला है और समानता व आपसी सम्मान को ठेस पहुंची है। आयोग ने 17 फरवरी को मामले की सुनवाई निर्धारित की है, जिसमें सभी संबंधित पक्षों को उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है।
महाराष्ट्र साइबर विभाग ने भी इस विवादित शो के सभी 18 एपिसोड को हटाने की मांग करते हुए अल्लाहबादिया और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 79, 196, 299, 296, 3(5) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। इन धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की कारावास और जुर्माने की सजा हो सकती है।
इस विवाद के बीच, अल्लाहबादिया ने अपनी विवादास्पद टिप्पणी के लिए माफी मांगी है। हालांकि, सोशल मीडिया पर उनके पॉडकास्ट पर प्रतिबंध लगाने की मांग जोर पकड़ रही है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य प्रियांक कानूनगो ने यूट्यूब की पब्लिक पॉलिसी प्रमुख मीरा चट को पत्र लिखकर 'इंडियाज गॉट लैटेंट' शो से संबंधित वीडियो को हटाने का आग्रह किया है, जिससे इंटरनेट पर आक्रोश फैल गया है।
इस मामले की आगामी सुनवाई और जांच के परिणामों पर सभी की निगाहें टिकी हैं, क्योंकि यह मामला ऑनलाइन कंटेंट क्रिएटर्स की जिम्मेदारी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन पर महत्वपूर्ण सवाल उठाता है।