सोनिया गांधी की टिप्पणी पर राष्ट्रपति भवन की प्रतिक्रिया: गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला और अस्वीकार्य
हाल ही में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन के बाद की गई टिप्पणी पर विवाद गहराता जा रहा है। सोनिया गांधी ने कहा था, "राष्ट्रपति अंत तक बहुत थकी हुई लग रही थीं। वह मुश्किल से बोल पा रही थीं, बेचारी।" इस टिप्पणी को लेकर राष्ट्रपति भवन ने कड़ी आपत्ति जताई है।
राष्ट्रपति भवन के एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सोनिया गांधी की यह टिप्पणी राष्ट्रपति पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली और अस्वीकार्य है। बयान में यह भी उल्लेख किया गया है कि राष्ट्रपति मुर्मू ने हमेशा हाशिए पर रहे समुदायों का प्रतिनिधित्व किया है और उनके प्रति इस तरह की टिप्पणी अनुचित है।
इस घटना ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी की टिप्पणी की आलोचना करते हुए इसे राष्ट्रपति का अपमान बताया और कांग्रेस से माफी की मांग की है। केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, "राष्ट्रपति के लिए ऐसी टिप्पणी राष्ट्रपति के साथ ही महिलाओं का भी अपमान है। कांग्रेस अध्यक्ष को देश के सामने आकर देश व राष्ट्रपति से माफी मांगनी चाहिए।"
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपनी मां का बचाव करते हुए कहा, "मेरी मां 78 वर्ष की हैं; उन्होंने बस इतना कहा कि 'राष्ट्रपति ने इतना लंबा भाषण पढ़ा, वह थक गई होंगी, बेचारी।' वह भारत के राष्ट्रपति का पूरा सम्मान करती हैं। मुझे लगता है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मीडिया द्वारा इस तरह की बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता है।"
यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस नेताओं की टिप्पणियों को लेकर विवाद हुआ है। पिछले वर्ष, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति मुर्मू के लिए 'राष्ट्रपत्नी' शब्द का उपयोग किया था, जिसके बाद भी भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष से माफी की मांग की थी।
वर्तमान विवाद ने संसद के बजट सत्र की कार्यवाही को भी प्रभावित किया है, जहां दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। भाजपा सांसदों ने सोनिया गांधी की टिप्पणी के खिलाफ नारेबाजी की, जबकि कांग्रेस सांसदों ने इसे बेवजह का विवाद बताया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के विवाद संसद की कार्यवाही को बाधित करते हैं और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा से ध्यान भटकाते हैं। वे सभी दलों से अपेक्षा करते हैं कि वे संयमित भाषा का उपयोग करें और संवैधानिक पदों की गरिमा का सम्मान करें।
आगामी दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह विवाद कैसे सुलझता है और क्या सोनिया गांधी या कांग्रेस पार्टी इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी करती है। साथ ही, यह भी देखना होगा कि क्या यह मुद्दा संसद की आगामी कार्यवाही को प्रभावित करेगा या नहीं।