प्रकृति लम्साल की संदिग्ध मौत पर केआईआईटी में छात्रों का उग्र प्रदर्शन
भुवनेश्वर- कालींगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) में रविवार शाम नेपाल की तीसरे वर्ष की बी.टेक छात्रा, प्रकृति लम्साल, की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद सोमवार को विश्वविद्यालय परिसर में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ। छात्रों, विशेषकर नेपाली नागरिकों, ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर दमनकारी रवैया अपनाने और मामले को दबाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि नेपाली छात्रों को मनमाने ढंग से परिसर खाली करने का निर्देश दिया गया है। प्रदर्शनकारी पारदर्शी जांच की मांग कर रहे हैं।
प्रकृति लम्साल का शव रविवार शाम उनके छात्रावास कक्ष में पाया गया, जिससे विश्वविद्यालय समुदाय में शोक और आक्रोश फैल गया। छात्रों का आरोप है कि प्रशासन ने घटना के तुरंत बाद उचित कार्रवाई नहीं की और मामले को छुपाने का प्रयास किया। इसके अलावा, नेपाली छात्रों को अचानक परिसर छोड़ने का आदेश दिया गया, जिससे उनकी सुरक्षा और भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से निम्नलिखित मांगें की हैं:
• पारदर्शी और निष्पक्ष जांच: प्रकृति लम्साल की मौत के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए स्वतंत्र जांच समिति का गठन।
• नेपाली छात्रों के प्रति भेदभावपूर्ण व्यवहार की समाप्ति: नेपाली छात्रों को मनमाने ढंग से परिसर खाली करने के आदेश को तुरंत रद्द किया जाए।
• छात्र कल्याण उपायों में सुधार: छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक संक्षिप्त बयान जारी कर कहा है कि वे घटना की जांच कर रहे हैं और छात्रों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है। हालांकि, छात्रों का कहना है कि प्रशासन की प्रतिक्रिया अपर्याप्त है और वे ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
इस घटना ने उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के मुद्दों पर एक बार फिर से ध्यान आकर्षित किया है। छात्रों का कहना है कि प्रशासन को छात्रों की समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए और उन्हें सुरक्षित और सहयोगी वातावरण प्रदान करना चाहिए।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे। इस बीच, विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों से शांति बनाए रखने और जांच में सहयोग करने की अपील की है।
यह घटना उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति प्रशासन की जिम्मेदारियों पर गंभीर सवाल खड़े करती है। आवश्यक है कि प्रशासन और संबंधित अधिकारी इस मामले की गहन जांच करें और सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।