पाकिस्तान ने 22 भारतीय मछुआरों को रिहा कर वाघा बॉर्डर पर सौंपा
इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने शनिवार को कराची की जेल में बंद 22 भारतीय मछुआरों को रिहा कर उन्हें वाघा बॉर्डर पर भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया। ये मछुआरे अनजाने में पाकिस्तान की समुद्री सीमा का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए थे और अपनी सजा पूरी करने के बाद रिहा हुए।
रिहाई के बाद, इन मछुआरों को कराची से लाहौर तक एधी फाउंडेशन द्वारा संचालित विशेष बस से लाया गया। फाउंडेशन के प्रवक्ता ने बताया कि प्रत्येक मछुआरे को 5,000 पाकिस्तानी रुपये, भोजन और उपहार प्रदान किए गए। मलिर जेल के अधीक्षक अरशद शाह ने मीडिया को बताया कि मछुआरों को सजा पूरी करने के बाद रिहा किया गया। दोनों देशों के बीच समुद्री सीमाओं के अस्पष्ट निर्धारण के कारण मछुआरों की गिरफ्तारी आम बात है।
एधी फाउंडेशन के प्रमुख फैसल एधी ने भारत और पाकिस्तान से अपील की कि वे गलती से समुद्री सीमाओं का उल्लंघन करने वाले मछुआरों के प्रति अधिक सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाएं। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक कैद में रहने से मछुआरों और उनके परिवारों को काफी कष्ट होता है, इसलिए सजा पूरी होने पर तुरंत रिहाई और प्रत्यावर्तन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
1 जनवरी, 2025 को भारत और पाकिस्तान द्वारा साझा की गई कैदियों की सूची के अनुसार, पाकिस्तान में 266 भारतीय कैदी हैं, जिनमें 49 नागरिक और 217 मछुआरे शामिल हैं, जबकि भारत में 462 पाकिस्तानी कैदी हैं, जिनमें 381 नागरिक और 81 मछुआरे शामिल हैं।
दोनों देशों के बीच समुद्री सीमाओं के अस्पष्ट निर्धारण के कारण मछुआरों की गिरफ्तारी आम बात है। इसलिए, विशेषज्ञों का मानना है कि इस मुद्दे के समाधान के लिए दोनों देशों को मिलकर प्रयास करने चाहिए ताकि निर्दोष मछुआरों को अनावश्यक कष्ट से बचाया जा सके।
रिहा किए गए मछुआरों में भूपत, माला, कृष्ण, खलफ, मोहन, आसिफ, अशोक, अकबर, लखमन, मोजी, दीपक, राम, हरी, तपु, सुरेश, विजय, मनोज कुमार, विनु, महेश, सुभाष, संजय और सेलेंद्र शामिल हैं। इन सभी को वाघा बॉर्डर पर भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया, जहां से वे अपने-अपने घरों के लिए रवाना होंगे। इस घटना ने एक बार फिर से मानवता और सहानुभूति के महत्व को रेखांकित किया है, जहां दोनों देशों के संगठनों ने मिलकर मछुआरों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की।