बिहार में कुदरत का कहर: 48 घंटों में 61 लोगों की मौत, मुख्यमंत्री ने मुआवजे का किया ऐलान
पटना: बिहार में बीते 48 घंटों में कुदरत ने भयंकर तबाही मचाई है। तेज बारिश, वज्रपात और ओलावृष्टि के कारण अब तक राज्य में कम से कम 61 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हुए हैं। गुरुवार को बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और झारखंड के बड़े हिस्सों में भारी बारिश, गरज-चमक और ओलावृष्टि दर्ज की गई। मौसम विभाग ने शुक्रवार को भी राज्य में भारी बारिश की संभावना जताई है।
बिहार में सबसे ज्यादा नुकसान नालंदा जिले में हुआ है, जहां अकेले 22 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। इसके अलावा सिवान, कटिहार, दरभंगा, बेगूसराय, भागलपुर और जहानाबाद जैसे जिलों में भी कई लोगों की जान गई है और फसलें तबाह हो गई हैं। प्रशासन को अब भी विभिन्न जिलों से जान-माल के नुकसान की विस्तृत जानकारी का इंतजार है, जिससे आशंका जताई जा रही है कि मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस प्राकृतिक आपदा को अत्यंत दुखद बताते हुए मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। उन्होंने संबंधित जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों को राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने के निर्देश भी दिए हैं। इसके साथ ही प्रभावित क्षेत्रों में फसल क्षति का आकलन कर किसानों को भी सहायता देने की बात कही गई है।
विपक्ष के नेता और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव ने राज्य सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया है कि बिहार में इस आपदा से अब तक कम से कम 50 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। तेजस्वी ने मृतकों के परिजनों के लिए त्वरित मुआवजे और प्रभावित किसानों को विशेष राहत पैकेज देने की मांग की है।
राजधानी पटना में गुरुवार दोपहर तक 42.6 मिमी बारिश दर्ज की गई, जिससे शहर के कई इलाकों में जलजमाव की स्थिति बन गई है। आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कई जगह बिजली आपूर्ति बाधित है और सड़कों पर गिरे पेड़ों और खंभों की वजह से यातायात भी अवरुद्ध हुआ है।
मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि शुक्रवार को भी राज्य के कई हिस्सों में तेज बारिश और वज्रपात हो सकता है। लोगों को सावधानी बरतने और आवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकलने की सलाह दी गई है।
बिहार में इस तरह की मौसमी घटनाएं अप्रैल में असामान्य मानी जाती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अब ऐसे मौसमी बदलाव अधिक तीव्र और खतरनाक होते जा रहे हैं। सरकार और प्रशासन के सामने अब राहत कार्यों के साथ-साथ भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचाव के लिए ठोस योजना बनाना भी एक बड़ी चुनौती बन गई है।