मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने दिया इस्तीफा: भाजपा में असंतोष और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव के बीच लिया निर्णय
इम्फाल: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने 9 फेव्रुयारी राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। यह इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब राज्य में दो वर्ष पूर्व भड़की जातीय हिंसा के बाद से भाजपा के भीतर उनके नेतृत्व को लेकर असंतोष बढ़ रहा था, और कांग्रेस द्वारा अविश्वास प्रस्ताव तथा फ्लोर टेस्ट की संभावना जताई जा रही थी।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा के 19 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को पद से हटाने की मांग की थी। विधायकों का कहना था कि राज्य में शांति बहाल करने के लिए मुख्यमंत्री को हटाना ही एकमात्र समाधान है।
कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के इस "देर से" आए इस्तीफे को अपनी मांग की पुष्टि बताया है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, "मुख्यमंत्री का इस्तीफा हमारी लंबे समय से चली आ रही मांग का प्रमाण है।" मिजोरम की मुख्य विपक्षी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने भी मणिपुर में जारी जातीय हिंसा को रोकने में कथित विफलता के लिए मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग की थी। एमएनएफ महासचिव वीएल क्रोसेहनेहज़ोवा ने कहा था कि केंद्र को इस संकट को समाप्त करने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए, जिसमें पिछले साल मई से 250 से अधिक लोगों की जान चली गई है।
मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद, राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई है। भाजपा के नेतृत्व में नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस अवसर को अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश में हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह का इस्तीफा भाजपा के भीतर बढ़ते असंतोष और विपक्ष के दबाव का परिणाम है। अब देखना होगा कि भाजपा नए नेतृत्व के चयन में कितनी तेजी से कदम उठाती है और क्या वह राज्य में स्थिरता ला पाने में सफल होती है।
इस बीच, राज्यपाल ने मुख्यमंत्री का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति तक उन्हें कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करने का निर्देश दिया है। राज्य की जनता और राजनीतिक दल अब नए नेतृत्व के चयन की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो मणिपुर के भविष्य की दिशा तय करेगा।