महाकुंभ 2025: संगम के जल में खतरनाक बैक्टीरिया की मौजूदगी से श्रद्धालुओं की आस्था पर संकट
प्रयागराज- प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ 2025 के लिए देशभर से करोड़ों श्रद्धालु संगम में पवित्र स्नान के लिए उमड़ रहे हैं। हालांकि, हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा जारी एक रिपोर्ट ने इस धार्मिक आयोजन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में संगम के जल में खतरनाक बैक्टीरिया की मौजूदगी की चेतावनी दी है, जिससे स्नान करना स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2025 में किए गए जल परीक्षणों में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) के मानक उच्च स्तर पर पाए गए, जो जल की गुणवत्ता को खराब दर्शाते हैं। इसके अलावा, फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की व्यापक उपस्थिति ने जल को सार्वजनिक स्नान के लिए अनुपयुक्त घोषित किया है। विशेष रूप से शाही स्नान के दिनों में इन बैक्टीरिया की संख्या में और वृद्धि होने की संभावना है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
इस रिपोर्ट के आधार पर, NGT ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को तलब किया है और उन्हें आगामी बुधवार को वर्चुअल माध्यम से उपस्थित होने का निर्देश दिया है। इस मामले ने श्रद्धालुओं के बीच चिंता की लहर पैदा कर दी है, क्योंकि संगम में स्नान हिंदू धर्म में मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है।
महाकुंभ 2025 के आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वच्छता और सुरक्षा के व्यापक इंतजाम करने का दावा किया है। मेला क्षेत्र में डेढ़ लाख से अधिक शौचालयों की स्थापना और 10,000 अतिरिक्त सफाई कर्मियों की तैनाती की योजना बनाई गई है। इसके साथ ही, गंगा और यमुना नदियों को अविरल और निर्मल बनाए रखने के लिए सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। हालांकि, संगम के जल में पाए गए खतरनाक बैक्टीरिया की मौजूदगी ने इन प्रयासों की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि स्नान से पहले जल की गुणवत्ता की जांच की जाए और आवश्यकतानुसार वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन और संबंधित एजेंसियों को जल प्रदूषण की समस्या के स्थायी समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की स्थितियों से बचा जा सके।
महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक आयोजन में जल की शुद्धता और स्वच्छता अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सरकार और प्रशासन को तत्परता से कार्य करते हुए श्रद्धालुओं की आस्था और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।