महाशिवरात्रि पर महाकुंभ 2025 का समापन: आस्था, भीड़ और चुनौतियों की अनूठी कहानी
प्रयागराज- प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 का आज, 26 फरवरी, महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर अंतिम अमृत स्नान के साथ समापन हुआ। यह विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक समागम रहा, जिसमें अनुमानित 65 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस महाकुंभ ने न केवल विशाल संख्या में लोगों को आकर्षित किया, बल्कि 'मोनालिसा' और 'आईआईटी बाबा' जैसे विशिष्ट चेहरों को भी सुर्खियों में लाया। हालांकि, इस दौरान कुछ दुखद घटनाएं, जैसे भगदड़, भी सामने आईं।
महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान पर्व पर, प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष तैयारियां की थीं। महाकुंभ नगर और प्रयागराज शहर को नो व्हीकल जोन घोषित किया गया, जिससे वाहनों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध रहा। साथ ही, वीआईपी प्रोटोकॉल को रद्द कर दिया गया, ताकि सभी श्रद्धालुओं को समान अवसर मिल सके। स्नान के लिए तीन जोन—झूंसी, अरेल और संगम—बनाए गए थे, जहां श्रद्धालुओं को उनके आगमन स्थल के आधार पर स्नान कराया गया। इसके अलावा, किसी भी प्रकार के जुलूस या शिव बारात के आयोजन पर रोक लगाई गई, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।
महाकुंभ 2025 के दौरान, 'मोनालिसा' और 'आईआईटी बाबा' जैसे अनोखे व्यक्तित्वों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। 'मोनालिसा' के नाम से मशहूर एक साध्वी अपनी विशिष्ट मुस्कान और आकर्षक व्यक्तित्व के लिए जानी गईं, जबकि 'आईआईटी बाबा' एक पूर्व आईआईटी स्नातक थे, जिन्होंने सांसारिक जीवन त्यागकर साधु का मार्ग अपनाया। इनकी कहानियां महाकुंभ में आध्यात्मिकता और विविधता का प्रतीक बनीं।
हालांकि, इस महाकुंभ के दौरान कुछ दुखद घटनाएं भी हुईं। जनवरी के अंत में, एक भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मृत्यु हो गई, जबकि कुछ रिपोर्टों के अनुसार यह संख्या 50 से अधिक हो सकती है। इस घटना के बाद, प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण के उपायों को और सख्त किया, क्षेत्र को छोटे सेक्टरों में विभाजित किया, और विभिन्न नदी तटों का उपयोग करके भीड़ को फैलाने का प्रयास किया।
महाकुंभ 2025 की तैयारी में उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यापक प्रबंध किए थे। लगभग 40 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का निर्माण किया गया, जिसमें 50,000 से अधिक सुरक्षा कर्मियों की तैनाती शामिल थी। इसके अलावा, उन्नत भीड़ निगरानी के लिए एआई-संचालित कैमरों का उपयोग किया गया, जिससे श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
महाकुंभ 2025 ने न केवल आध्यात्मिकता और आस्था का महोत्सव प्रस्तुत किया, बल्कि विशाल भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा चुनौतियों और विविध सांस्कृतिक पहलुओं का भी साक्षात्कार कराया। इस महाकुंभ ने एक बार फिर से भारत की सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक एकता को प्रदर्शित किया।