सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता एम ए बेबी पार्टी के नए महासचिव चुने गए, ईएमएस के बाद केरल इकाई से दूसरे नेता
मदुरै— मदुरै, तमिलनाडु में आयोजित पार्टी कांग्रेस के दौरान वरिष्ठ सीपीआई(एम) नेता एम ए बेबी को रविवार को सर्वसम्मति से पार्टी का नया महासचिव चुना गया। इस नियुक्ति के साथ ही वह पार्टी के केरल यूनिट से महासचिव बनने वाले केवल दूसरे नेता बन गए हैं, इससे पहले यह जिम्मेदारी वामपंथी आंदोलन के महान नेता ईएमएस नंबूदरीपाद के पास थी।
70 वर्षीय एम ए बेबी पार्टी की केंद्रीय समिति में 75 वर्ष से कम आयु के वरिष्ठतम नेताओं में से एक हैं। उन्होंने यह पद पूर्व महासचिव प्रकाश करात से संभाला है, जिन्हें सितम्बर में सीताराम येचुरी के निधन के बाद पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति का समन्वयक नियुक्त किया गया था।
प्रसिद्ध वामपंथी नेता एम ए बेबी का जन्म केरल के कोल्लम जिले के प्रक्कुलम गांव में हुआ था। वह एक घोषित नास्तिक हैं और पार्टी की पोलित ब्यूरो में एकमात्र ईसाई चेहरा हैं। उन्हें सीपीआई(एम) के सांस्कृतिक दूत के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने कोच्चि-मुजिरिस बिनाले जैसे अंतरराष्ट्रीय कला आयोजनों की शुरुआत में अहम भूमिका निभाई है, साथ ही दिल्ली में स्वरालय सांस्कृतिक संगठन की स्थापना में भी उनका योगदान उल्लेखनीय रहा है।
एम ए बेबी की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत केरल स्टूडेंट्स फेडरेशन (KSF) से हुई थी, जो आज के स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) की पूर्ववर्ती संस्था है। वे SFI के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पार्टी की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) के भी प्रमुख रह चुके हैं।
आपातकाल के दौरान छात्र आंदोलनों और युवाओं को संगठित करने में उनकी भूमिका बेहद अहम मानी जाती है। इस दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा था, जिससे उनकी प्रतिबद्धता और साहस की पुष्टि होती है।
पार्टी के महासचिव के रूप में एम ए बेबी की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब देश में वामपंथी राजनीति एक नई दिशा की तलाश में है। उन्हें एक विचारशील, रणनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से परिपक्व नेता के रूप में देखा जाता है, जो न केवल संगठनात्मक मजबूती लाने की क्षमता रखते हैं, बल्कि वैकल्पिक सांस्कृतिक विमर्श को भी आगे बढ़ा सकते हैं।
एम ए बेबी की नियुक्ति को पार्टी के भीतर युवा नेतृत्व को आगे लाने के संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है, जबकि वे स्वयं एक ऐसे नेता हैं जो छात्र राजनीति से निकलकर राष्ट्रीय नेतृत्व तक पहुंचे हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों में इस नई नियुक्ति को लेकर उत्साह है और यह माना जा रहा है कि उनका अनुभव और दृष्टिकोण वामपंथ को एक नई ऊर्जा दे सकता है।