नया आयकर विधेयक 2025 की समीक्षा के लिए 31-सदस्यीय चयन समिति का गठन
नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हाल ही में 'नया आयकर विधेयक 2025' की विस्तृत समीक्षा के लिए एक 31-सदस्यीय चयन समिति का गठन किया है। इस समिति की अध्यक्षता वरिष्ठ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और ओडिशा के केंद्रपाड़ा से सांसद बैजयंत पांडा करेंगे।
इस समिति में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रमुख सांसदों को शामिल किया गया है, जिनमें भाजपा के झारखंड से सांसद डॉ. निशिकांत दुबे, कर्नाटक से जगदीश शेट्टर, राजस्थान से पी.पी. चौधरी; कांग्रेस के हरियाणा से सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा; तृणमूल कांग्रेस की पश्चिम बंगाल से सांसद महुआ मोइत्रा; और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की महाराष्ट्र से सांसद सुप्रिया सुले प्रमुख हैं।
नया आयकर विधेयक 2025, जो कि छह दशक पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा, को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 13 फरवरी 2025 को लोकसभा में पेश किया था। इस विधेयक का उद्देश्य कर कानूनों को सरल, स्पष्ट और करदाताओं के लिए अधिक सुलभ बनाना है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में इस विधेयक को लाने की घोषणा की थी, जिसके बाद इसे मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली।
विधेयक के मुख्य उद्देश्यों में कर विवादों को कम करना, पारदर्शिता बढ़ाना, और अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाना शामिल है। इसके तहत पुराने और अप्रचलित प्रावधानों को हटाया जाएगा, जिससे कर प्रणाली अधिक प्रभावी और समझने में आसान हो सके। नए विधेयक में यह भी प्रावधान है कि कोई नया कर नहीं लगाया जाएगा, बल्कि वर्तमान कर ढांचे को ही सुधारकर अधिक उपयोगकर्ता-मित्र बनाया जाएगा।
चयन समिति का गठन इस विधेयक के विभिन्न प्रावधानों की गहन समीक्षा और आवश्यक संशोधनों की सिफारिश करने के लिए किया गया है। समिति विभिन्न हितधारकों से सुझाव प्राप्त करेगी और सुनिश्चित करेगी कि नया कर कानून देश की वर्तमान आर्थिक आवश्यकताओं और करदाताओं की अपेक्षाओं के अनुरूप हो।
समिति की अध्यक्षता कर रहे बैजयंत पांडा ने अपने अनुभव और विशेषज्ञता के माध्यम से विधेयक की समीक्षा प्रक्रिया को सुचारू और समग्र बनाने का संकल्प व्यक्त किया है। विभिन्न दलों के सदस्यों की भागीदारी से यह उम्मीद की जा रही है कि समिति एक सर्वसम्मत और संतुलित रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, जो सभी पक्षों के विचारों को समाहित करेगी।
नया आयकर विधेयक 2025 के लागू होने से करदाताओं को कर रिटर्न दाखिल करने में आसानी होगी, और कर प्रणाली में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ेगी। समिति की सिफारिशों के आधार पर, सरकार विधेयक में आवश्यक संशोधन करेगी, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि नया कानून देश की आर्थिक प्रगति में सहायक हो और करदाताओं के लिए लाभदायक सिद्ध हो।