वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर लोकसभा में आज जोरदार टकराव की संभावना
नई दिल्ली – लोकसभा में आज का सत्र बेहद हंगामेदार रहने की संभावना है, क्योंकि एनडीए और विपक्षी INDIA गठबंधन वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को लेकर आमने-सामने हैं। यह विधेयक 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन करने के उद्देश्य से पेश किया जाएगा। प्रश्नकाल के बाद इसे सदन में लाया जाएगा, जिसके बाद आठ घंटे की बहस निर्धारित है, जिसे आवश्यकतानुसार बढ़ाया भी जा सकता है।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए जरूरी है। वहीं, विपक्षी दलों ने इसे असंवैधानिक और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण करार दिया है। INDIA गठबंधन ने इस विधेयक का पुरजोर विरोध करने की घोषणा की है, जिससे लोकसभा में तीखी बहस की संभावना बन गई है।
गौरतलब है कि मूल रूप से मुस्लिम संपत्तियों के प्रबंधन के लिए सबसे पहले 1923 में ब्रिटिश शासन के दौरान "मुसलमान वक्फ अधिनियम" लागू किया गया था। बाद में इसे 1954 के वक्फ अधिनियम से बदल दिया गया, जिसे 1995 में फिर से संशोधित किया गया। कई आलोचकों का मानना है कि 1995 का संशोधन मुस्लिम समुदाय को कानूनी लाभ पहुंचाने वाला था, जिससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में कई जटिलताएं उत्पन्न हुईं।
2024 का संशोधन विधेयक इस कानून में कई अहम बदलाव लाने की योजना बना रहा है। इसमें वक्फ अधिनियम का नाम बदलने, वक्फ की परिभाषा को अद्यतन करने, पंजीकरण प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने और तकनीक के उपयोग से रिकॉर्ड प्रबंधन में सुधार करने जैसे प्रावधान शामिल हैं।
पिछले नवंबर में महाराष्ट्र में बड़ी जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, "वक्फ कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति है और संविधान में इसका कोई स्थान नहीं है।"
सरकार का दावा है कि यह विधेयक पिछले अधिनियम की कमियों को दूर करने और वक्फ बोर्डों की कार्यकुशलता में सुधार करने के लिए बनाया गया है। मुख्य बदलावों में अधिनियम का नाम बदलना, वक्फ की परिभाषा को अद्यतन करना, पंजीकरण प्रक्रिया को बढ़ाना और बेहतर रिकॉर्ड प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकी को एकीकृत करना शामिल है।
सरकार के अनुसार, ये संशोधन वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में सुधार, दक्षता बढ़ाने और राज्य वक्फ बोर्डों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए आवश्यक हैं। विधेयक के मुख्य प्रावधान अधिनियम के नाम को आधुनिक बनाने, वक्फ परिभाषाओं को परिष्कृत करने, पंजीकरण प्रक्रिया में सुधार करने और रिकॉर्ड रखने को कारगर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर केंद्रित हैं।
यह विधेयक 8 अगस्त 2024 को संसद में पेश किया गया था और इसके साथ ही "मुसलमान वक्फ अधिनियम" को निरस्त करने वाला एक अन्य विधेयक भी रखा गया था। अब इस पर लोकसभा में जोरदार चर्चा होगी, जहां दोनों पक्ष अपने-अपने तर्कों के साथ एक-दूसरे को घेरने का प्रयास करेंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि सदन में बहस के दौरान क्या नतीजा निकलता है और क्या यह विधेयक अंततः पारित हो पाएगा या नहीं।