लिंक्डइन के सह-संस्थापक रीड हॉफमैन के 'वर्क-लाइफ बैलेंस' पर बयान से विवाद, कर्मचारियों को रात में काम पर लौटने की दी थी सलाह
नई दिल्ली: पेशेवर नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म लिंक्डइन (LinkedIn) के सह-संस्थापक रीड हॉफमैन एक पुराने बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं। सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे एक पॉडकास्ट क्लिप में हॉफमैन यह कहते सुने जा सकते हैं कि शुरुआती दिनों में लिंक्डइन के कर्मचारियों से यह अपेक्षा की जाती थी कि वे रात के खाने के बाद अपने लैपटॉप फिर से खोलें और काम पर लौट जाएं।
हॉफमैन का यह बयान उस पॉडकास्ट का हिस्सा है जो पिछले साल रिकॉर्ड किया गया था, लेकिन हाल ही में यह चर्चा में आया है। उन्होंने कहा, “शुरुआत में लिंक्डइन में यह अपेक्षा थी कि आप अपने परिवार के साथ रात का खाना खाएं, लेकिन उसके बाद लैपटॉप निकालें और फिर से काम पर लग जाएं।”
इस बयान को लेकर सोशल मीडिया और कॉर्पोरेट जगत में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। एक ओर कुछ लोग इसे एक स्टार्टअप में समर्पण और मेहनत का प्रतीक मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई लोगों ने हॉफमैन की इस सोच को ‘वर्क-लाइफ बैलेंस’ के खिलाफ बताया है। आलोचकों का कहना है कि इस तरह की संस्कृति कर्मचारियों की मानसिक और शारीरिक सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है और यह निजी जीवन की अनदेखी करने के समान है।
वर्कप्लेस विशेषज्ञों का कहना है कि आज के समय में जहां कंपनियां कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य और संतुलित जीवन को प्राथमिकता देने की कोशिश कर रही हैं, वहां इस तरह के बयान एक गलत संदेश देते हैं।
हालांकि हॉफमैन ने यह भी स्पष्ट किया था कि यह संस्कृति लिंक्डइन के शुरुआती दौर की थी, जब एक स्टार्टअप को खड़ा करने के लिए अतिरिक्त मेहनत जरूरी थी। उन्होंने यह नहीं कहा कि यह अब भी लागू होना चाहिए। बावजूद इसके, उनके इस बयान ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि क्या स्टार्टअप्स में सफलता पाने के लिए कर्मचारियों को निजी जीवन की बलि देनी पड़ती है।
लिंक्डइन, जो अब एक वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय प्रोफेशनल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म है, माइक्रोसॉफ्ट के स्वामित्व में है और दुनियाभर में इसके करोड़ों यूज़र्स हैं। रीड हॉफमैन को लिंक्डइन को खड़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है, लेकिन उनका यह बयान उनकी नेतृत्व शैली और काम के प्रति दृष्टिकोण को लेकर नई चर्चा को जन्म दे रहा है।
अब यह देखना होगा कि हॉफमैन इस विवाद पर कोई स्पष्टीकरण देते हैं या नहीं, लेकिन इतना तय है कि कॉर्पोरेट दुनिया में काम और जीवन के संतुलन को लेकर यह बहस फिर से ज़ोर पकड़ चुकी है।