महाकुंभ को 'निरर्थक' बताते हुए लालू प्रसाद ने रेलवे को ठहराया भगदड़ का दोषी
नई दिल्ली- राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने रविवार को महाकुंभ की महत्ता पर सवाल उठाते हुए इसे 'निरर्थक' करार दिया। उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हाल ही में हुई भगदड़, जिसमें कम से कम 18 लोगों की जान गई, के लिए रेलवे प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया।
लालू प्रसाद ने एएनआई से बातचीत में महाकुंभ के आयोजन पर अपनी असहमति व्यक्त की। जब उनसे महाकुंभ के दौरान भीड़ प्रबंधन के सुझावों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "कुंभ का कहां कोई मतलब है। फालतू है कुंभ।" उनके इस बयान ने धार्मिक आयोजनों और उनकी प्रासंगिकता पर एक नई बहस छेड़ दी है।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुई भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल थे। इस घटना के लिए लालू प्रसाद ने रेलवे प्रशासन की कड़ी आलोचना की और भीड़ प्रबंधन में गंभीर खामियों को इसका मुख्य कारण बताया। उन्होंने कहा कि रेलवे को ऐसे बड़े आयोजनों के दौरान भीड़ नियंत्रण के लिए उचित प्रबंध करने चाहिए थे।
लालू प्रसाद ने आगे कहा कि रेलवे प्रशासन की लापरवाही और अव्यवस्था के कारण ही ऐसी दुखद घटनाएं होती हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार इस घटना की उच्चस्तरीय जांच कराए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। इस बीच, रेलवे मंत्रालय ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं और पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने की घोषणा की है। हालांकि, लालू प्रसाद ने इसे पर्याप्त नहीं माना और कहा कि केवल मुआवजा देना ही पर्याप्त नहीं है; भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
लालू प्रसाद के इस बयान के बाद विभिन्न राजनीतिक और धार्मिक संगठनों ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं। कई नेताओं ने महाकुंभ को 'निरर्थक' कहने पर उनकी आलोचना की और इसे करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाओं का अपमान बताया। वहीं, कुछ ने उनकी बातों का समर्थन करते हुए कहा कि ऐसे बड़े आयोजनों के दौरान सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
यह पहली बार नहीं है जब लालू प्रसाद ने धार्मिक आयोजनों पर अपनी बेबाक राय दी है। अपने राजनीतिक करियर के दौरान, वे कई बार ऐसे मुद्दों पर विवादित बयान दे चुके हैं। हालांकि, उनके समर्थकों का कहना है कि वे हमेशा सामाजिक और जनहित के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते हैं।इस घटना ने एक बार फिर से बड़े धार्मिक आयोजनों के दौरान सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे आयोजनों से पहले विस्तृत योजना और समन्वय की आवश्यकता होती है ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके।
सरकार और रेलवे प्रशासन के लिए यह समय है कि वे इस घटना से सबक लें और सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसे आयोजनों के दौरान सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन हो। साथ ही, धार्मिक और राजनीतिक नेताओं को भी अपने बयानों में संयम बरतने की आवश्यकता है ताकि समाज में सौहार्द और एकता बनी रहे।