जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली
नई दिल्ली- जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की। उन्हें भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने पद की शपथ दिलाई। उनकी नियुक्ति को केंद्र सरकार ने 6 मार्च को मंजूरी दी थी, जो सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के बाद हुई। एक सप्ताह बाद, उन्हें सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया।
जस्टिस जॉयमाल्या बागची की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। उनका न्यायिक करियर कई वर्षों का अनुभव और निष्पक्ष न्याय प्रदान करने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उनकी योग्यता और न्यायिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनकी सिफारिश की थी।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के अलावा, जस्टिस भूषण आर गवई, सूर्य कांत, अभय एस ओका और विक्रम नाथ शामिल हैं। इस कॉलेजियम ने उनके नाम की सिफारिश की थी, जिसे केंद्र सरकार ने स्वीकृति दी। इसके बाद, औपचारिक प्रक्रिया पूरी होने पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
न्यायपालिका में जस्टिस बागची का योगदान उल्लेखनीय रहा है। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसले दिए हैं, जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को दर्शाते हैं। उनके न्यायिक निर्णय कानूनी मामलों की गहराई को समझने और न्याय को प्राथमिकता देने की उनकी क्षमता को दर्शाते हैं। सुप्रीम कोर्ट में उनके शामिल होने से न्याय प्रणाली को और मजबूती मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बागची की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब न्यायपालिका में अनुभव और निष्पक्षता की अहमियत और भी अधिक बढ़ गई है। उनके अनुभव और ज्ञान का लाभ आने वाले महत्वपूर्ण मामलों में देखने को मिलेगा। उनकी नियुक्ति से भारतीय न्यायपालिका को नई दिशा और मजबूती मिलेगी।
उनकी नियुक्ति से न्यायिक प्रक्रिया को और पारदर्शिता मिलेगी और कानूनी मामलों में निष्पक्ष निर्णय लेने की परंपरा को बढ़ावा मिलेगा। अब, सभी की नजरें उनके भविष्य के फैसलों पर होंगी, जो निश्चित रूप से भारतीय न्याय व्यवस्था को एक नई दिशा देंगे।