अमेरिका द्वारा भारतीयों के निर्वासन पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर की प्रतिक्रिया
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा अवैध प्रवासियों के निर्वासन की प्रक्रिया कोई नई घटना नहीं है, बल्कि यह कई वर्षों से चल रही है। उन्होंने विपक्षी दलों की आलोचनाओं का जवाब देते हुए बताया कि हर वर्ष सैकड़ों भारतीय नागरिकों को अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश या वहां अवैध रूप से रहने के कारण निर्वासित किया जाता है। उदाहरण के लिए, 2012 में 530 भारतीयों का निर्वासन हुआ था, जबकि 2019 में यह संख्या 2,000 से अधिक थी।
विदेश मंत्री ने कहा, "अमेरिका द्वारा अवैध प्रवासियों के निर्वासन की प्रक्रिया कोई नई घटना नहीं है। यह कई वर्षों से चल रही है, और हर वर्ष सैकड़ों भारतीय नागरिकों को अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश या वहां अवैध रूप से रहने के कारण निर्वासित किया जाता है।"
उन्होंने विपक्षी दलों की आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा कि यह प्रक्रिया पहले से ही चल रही है, और इसमें कोई नई बात नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार इस मुद्दे पर अमेरिकी अधिकारियों के साथ लगातार संवाद कर रही है, ताकि निर्वासित भारतीय नागरिकों के साथ उचित व्यवहार सुनिश्चित किया जा सके।
इससे पहले, विपक्षी दलों ने अमेरिकी अधिकारियों द्वारा भारतीय नागरिकों के निर्वासन के दौरान कथित दुर्व्यवहार पर चिंता जताई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि निर्वासितों को हथकड़ी और बेड़ियों में बांधकर भेजा गया, जो भारतीय नागरिकों की गरिमा के खिलाफ है।
विदेश मंत्री ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि अमेरिका में अवैध प्रवासियों के निर्वासन के दौरान सुरक्षा कारणों से कुछ उपाय किए जाते हैं, जो अमेरिकी कानून के तहत उचित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस मुद्दे पर अमेरिकी अधिकारियों के साथ लगातार संवाद कर रही है, ताकि भारतीय नागरिकों के साथ उचित व्यवहार सुनिश्चित किया जा सके।
विदेश मंत्री की इस टिप्पणी से यह स्पष्ट होता है कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीर है और भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस मुद्दे पर अमेरिकी अधिकारियों के साथ लगातार संवाद कर रही है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
इस बीच, विपक्षी दलों ने सरकार से मांग की है कि वह अमेरिकी अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाए और भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर संसद में विस्तृत चर्चा करानी चाहिए, ताकि इस पर सभी पक्षों की राय ली जा सके। कुल मिलाकर, विदेश मंत्री एस. जयशंकर की टिप्पणी से यह स्पष्ट होता है कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीर है और भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठा रही है।