जयराम रमेश ने अमित शाह के खिलाफ राज्यसभा में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बुधवार को राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया। यह प्रस्ताव गृह मंत्री अमित शाह द्वारा कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी पर की गई कथित "आक्षेप लगाने" वाली टिप्पणी को लेकर दायर किया गया है। जयराम रमेश ने अपने पत्र में कहा कि अमित शाह ने ऊपरी सदन में अपने जवाब के दौरान सोनिया गांधी पर निराधार आरोप लगाए, जो उनके सम्मान को ठेस पहुंचाने और उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए पूर्व नियोजित तरीके से किए गए थे।
जयराम रमेश ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि संसद में वक्तव्य देने की स्वतंत्रता का यह अर्थ नहीं कि कोई सदस्य किसी भी वरिष्ठ नेता पर इस प्रकार के निराधार और अपमानजनक आरोप लगाए। उन्होंने यह भी कहा कि अमित शाह द्वारा दिए गए बयान न केवल असत्य थे, बल्कि उन्होंने सोनिया गांधी की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की, जो संसदीय कार्यप्रणाली के विरुद्ध है।
कांग्रेस नेताओं ने इस मुद्दे पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे सत्तारूढ़ दल द्वारा एक सोची-समझी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बताया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को बदनाम करने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रही है। विपक्षी नेताओं ने अमित शाह से इस टिप्पणी पर स्पष्टीकरण देने और माफी मांगने की मांग की है।
इस विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव के जरिए जयराम रमेश ने राज्यसभा के सभापति से अनुरोध किया है कि वे इस मुद्दे पर उचित कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि संसद की गरिमा बनाए रखने और लोकतांत्रिक परंपराओं को संरक्षित करने के लिए इस तरह के अनर्गल और अनुचित बयानों पर सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।
भाजपा की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पार्टी के कुछ नेताओं ने इसे महज एक "राजनीतिक नौटंकी" करार दिया है। उन्होंने दावा किया कि अमित शाह ने अपने बयान में कोई गलत बात नहीं कही और यह विपक्ष की एक सोची-समझी रणनीति है जिससे सरकार को घेरा जा सके।
इस बीच, विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर और अधिक आक्रामक रुख अपनाने के संकेत दिए हैं। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने अमित शाह के बयान की निंदा करते हुए कहा कि यह केवल सोनिया गांधी पर व्यक्तिगत हमला नहीं बल्कि संसदीय मर्यादाओं का भी उल्लंघन है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को आगामी सत्रों में भी जोरशोर से उठाने की योजना बनाई है।
गौरतलब है कि संसद में विशेषाधिकार हनन का मामला तब उठता है जब किसी सदस्य को यह लगता है कि किसी अन्य सदस्य ने उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने या उनके विशेषाधिकारों का उल्लंघन करने का प्रयास किया है। इस मामले में, अगर सभापति इसे स्वीकार करते हैं, तो इसे संसदीय समिति के पास भेजा जा सकता है, जो इस पर आगे जांच करेगी।
आगे इस प्रस्ताव पर क्या कार्रवाई होती है, यह देखना दिलचस्प होगा, लेकिन इतना स्पष्ट है कि इस मुद्दे ने संसद में सत्ता और विपक्ष के बीच एक नई खाई को जन्म दे दिया है।