अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध: शुल्क वृद्धि से तनाव बढ़ा, चीन ने दी जवाबी कार्रवाई की चेतावनी
अमेरिका- अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर बढ़ गया है, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी वस्तुओं पर 10% शुल्क लगाने की घोषणा की। इसके जवाब में, चीन ने अमेरिकी आयात पर प्रतिशोधी शुल्क लगाने की चेतावनी दी है। चीन के वित्त मंत्रालय ने कहा है कि अमेरिकी शुल्क विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का उल्लंघन करते हैं।
चीन ने इस कदम को "दुष्टतापूर्ण" करार देते हुए कहा कि बीजिंग "जवाबी कदम उठाने के लिए मजबूर हो सकता है" और जोर देकर कहा कि "व्यापार युद्ध में कोई विजेता नहीं होता"। चीन के वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "अमेरिकी पक्ष के इस कदम ने द्विपक्षीय आर्थिक और व्यापारिक वार्ताओं की सहमति का गंभीर उल्लंघन किया है।" चीन ने यह भी कहा कि वह अपने वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए आवश्यक जवाबी कदम उठाएगा।
विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक हो सकता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने चेतावनी दी है कि बढ़ते व्यापारिक तनाव से वैश्विक आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अमेरिका और चीन के बीच यह व्यापारिक तनाव नई बात नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में, दोनों देशों ने एक-दूसरे के उत्पादों पर कई बार शुल्क लगाए हैं, जिससे वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह तनाव जारी रहता है, तो इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है और उपभोक्ता कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
चीन ने यह भी संकेत दिया है कि वह अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों के खिलाफ कदम उठा सकता है। चीन के राज्य बाजार विनियमन प्रशासन ने घोषणा की है कि वह गूगल के खिलाफ एक एंटीट्रस्ट जांच शुरू करेगा।
इस बीच, वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ गई है। निवेशकों को चिंता है कि यह व्यापारिक तनाव वैश्विक आर्थिक विकास को धीमा कर सकता है और वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव बढ़ा सकता है।
विश्लेषकों का कहना है कि यदि यह व्यापारिक युद्ध जारी रहता है, तो इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान आ सकता है और उपभोक्ता कीमतों में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, व्यापारिक अनिश्चितता के कारण कंपनियां निवेश निर्णयों में देरी कर सकती हैं, जिससे आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने दोनों देशों से आग्रह किया है कि वे बातचीत के माध्यम से अपने मतभेदों को सुलझाएं और वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता को बनाए रखें। हालांकि, वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए, निकट भविष्य में इस तनाव के कम होने की संभावना कम ही नजर आ रही है।