पूर्व IAS प्रशिक्षु पूजा खेडकर को सुप्रीम कोर्ट से गिरफ्तारी से अंतरिम राहत
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेडकर को अस्थायी राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने विकलांगता से संबंधित झूठे दावे और फर्जी प्रमाणपत्रों का उपयोग कर सिविल सेवा परीक्षा पास की थी। यह मामला विवादों में घिरा हुआ है और देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
पूजा खेडकर ने अपनी याचिका में दावा किया कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और उन्हें बिना उचित जांच के निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से सुरक्षा की मांग की थी, जिसके जवाब में अदालत ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्हें गिरफ्तारी से अस्थायी सुरक्षा प्रदान की जाती है।
सरकार की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि खेडकर ने विकलांगता कोटा के तहत चयनित होने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया। जांच एजेंसियों ने यह भी दावा किया है कि उनके दस्तावेजों में गंभीर विसंगतियां पाई गई हैं। इस मामले को लेकर सिविल सेवा परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद खेडकर को निर्देश दिया कि वह जांच में सहयोग करें और जांच एजेंसियों द्वारा मांगे गए सभी दस्तावेज प्रस्तुत करें। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस अंतरिम राहत का अर्थ यह नहीं है कि आरोपों को खारिज कर दिया गया है।
यह मामला तब सामने आया जब एक शिकायतकर्ता ने खेडकर पर फर्जी प्रमाणपत्रों का उपयोग करने का आरोप लगाया और इसकी जांच की मांग की। इसके बाद, मामला तेज़ी से तूल पकड़ गया, और खेडकर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला देश की सिविल सेवा भर्ती प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता को उजागर करता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले की अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित की जाएगी, जिसमें यह तय होगा कि खेडकर पर लगे आरोपों पर आगे क्या कार्रवाई होगी।