डोनाल्ड ट्रंप ने NATO देशों से रक्षा बजट बढ़ाने की मांग की, यूरोपीय नेताओं ने किया विरोध
वॉशिंगटन: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने NATO (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) के सदस्य देशों से अपने रक्षा खर्च को बढ़ाकर जीडीपी का 5 प्रतिशत करने की अपील की है। यह मांग संगठन के मौजूदा 2 प्रतिशत लक्ष्य से दोगुने से भी अधिक है। ट्रंप ने कहा कि मौजूदा वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए NATO देशों को अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने की जरूरत है।
ट्रंप ने अपने बयान में कहा, "हम एक खतरनाक दौर में रह रहे हैं। NATO को अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेना चाहिए और इसके सदस्य देशों को रक्षा खर्च में वृद्धि करनी होगी। 5 प्रतिशत का लक्ष्य न केवल आवश्यक है, बल्कि यह संगठन को मजबूत और प्रासंगिक बनाए रखने के लिए अनिवार्य है।"
हालांकि, ट्रंप की इस मांग को कई यूरोपीय नेताओं ने अव्यावहारिक और असंभव करार दिया है। जर्मनी की चांसलर ओलाफ शोल्ज़ ने कहा, "5 प्रतिशत रक्षा खर्च करना हमारे आर्थिक और सामाजिक ढांचे पर गंभीर असर डाल सकता है। हमें अपने नागरिकों की अन्य प्राथमिकताओं जैसे स्वास्थ्य और शिक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए।"
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी इस प्रस्ताव पर असहमति जताई। उन्होंने कहा, "NATO के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए केवल रक्षा खर्च बढ़ाना पर्याप्त नहीं है। हमें रणनीतिक सोच और कूटनीतिक उपायों की भी जरूरत है।"
विशेषज्ञों ने ट्रंप की इस मांग को उनके "अमेरिका फर्स्ट" दृष्टिकोण का विस्तार बताया है। कई विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप NATO में अमेरिका के योगदान को कम करने का दबाव बना रहे हैं और अन्य देशों को इसका आर्थिक बोझ उठाने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
वहीं, कुछ पूर्वी यूरोपीय देशों ने ट्रंप की इस मांग का समर्थन किया है, क्योंकि वे रूस से बढ़ते खतरे को लेकर चिंतित हैं। इन देशों का मानना है कि अधिक रक्षा खर्च NATO की सैन्य तैयारियों को मजबूत करेगा।
NATO की आगामी बैठक में इस प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा होने की संभावना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप का यह आक्रामक कदम यूरोपीय देशों के साथ अमेरिका के संबंधों को कैसे प्रभावित करता है और क्या यह संगठन के भीतर एक नई बहस को जन्म देगा