विवादित बयान पर तमिलनाडु के मंत्री के. पोनमुडी को डिप्टी जनरल सेक्रेटरी पद से हटाया, तिरुचि शिवा को सौंपी गई जिम्मेदारी
चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने शुक्रवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य सरकार में मंत्री के. पोनमुडी को डिप्टी जनरल सेक्रेटरी के पद से हटा दिया। यह कार्रवाई उस विवादास्पद वीडियो क्लिप के वायरल होने के बाद की गई, जिसमें पोनमुडी ने चेन्नई में 6 अप्रैल को थंथै पेरियार द्रविड़ कड़गम (TPDK) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हिंदू धार्मिक प्रतीकों और महिलाओं को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
वीडियो में पोनमुडी को हिंदू धार्मिक प्रतीकों की तुलना यौन मुद्राओं से करते और महिलाओं को लेकर आपत्तिजनक बातें कहते हुए देखा गया। उनके इस बयान ने न सिर्फ सोशल मीडिया पर बवाल मचा दिया, बल्कि बीजेपी समेत कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने इसकी तीखी आलोचना की।
इस घटना के बाद डिएमके प्रमुख स्टालिन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पोनमुडी को संगठनात्मक पद से हटाया और उनकी जगह राज्यसभा सांसद तिरुचि शिवा को डिप्टी जनरल सेक्रेटरी नियुक्त किया। तिरुचि शिवा को पार्टी के एक अनुशासित और विचारशील नेता के रूप में जाना जाता है, और पार्टी को उम्मीद है कि वह संगठन में संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएंगे।
इसी बीच डिएमके के वरिष्ठतम नेता, महासचिव और जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन ने हाल ही में दिव्यांगजनों को लेकर दिए गए अपने असंवेदनशील बयान पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि उनके शब्दों से किसी की भावना को ठेस पहुंची हो तो वह उसके लिए खेद व्यक्त करते हैं।
पोनमुडी की टिप्पणी पर डिएमके की उप महासचिव और सांसद कनीमोई करुणानिधि ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "मंत्री पोनमुडी का हालिया भाषण किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने किसी भी कारणवश जो भी बातें कहीं, वह अपमानजनक और निंदनीय हैं।" कनीमोई का यह बयान यह दर्शाता है कि पार्टी इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और सार्वजनिक छवि को बनाए रखने के लिए कोई समझौता नहीं कर रही।
डिएमके द्वारा उठाया गया यह कदम पार्टी की अनुशासनात्मक नीति और सामाजिक जिम्मेदारी को दर्शाता है। पार्टी ने स्पष्ट संकेत दिया है कि चाहे कोई भी नेता कितना ही वरिष्ठ क्यों न हो, वह अनुचित और समाजविरोधी बयानों से बचें, वरना कार्रवाई तय है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र डिएमके इस प्रकार की किसी भी नकारात्मक छवि से बचना चाहती है और इसी कारण शीर्ष नेतृत्व ने बिना देरी किए कड़ा कदम उठाया। पार्टी के भीतर इस फैसले को अनुशासन की पुनःस्थापना के रूप में देखा जा रहा है, वहीं विपक्ष इसे जनता के आक्रोश के दबाव में लिया गया कदम बता रहा है।
फिलहाल, के. पोनमुडी के बयान और उसके बाद की गई कार्रवाई ने तमिलनाडु की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है, और आने वाले समय में इस पर और प्रतिक्रियाएं सामने आ सकती हैं।