डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर अब रहेगा सार्वजनिक अवकाश: केंद्र सरकार का फैसला
नई दिल्ली– केंद्र सरकार ने शुक्रवार, 28 मार्च को घोषणा की कि भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की जयंती, 14 अप्रैल, को अब से सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाई जाएगी। सरकार ने यह निर्णय समाज और संविधान में उनके अतुलनीय योगदान को सम्मान देने के लिए लिया है।
इस फैसले की जानकारी केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर दी। उन्होंने लिखा, "संविधान निर्माता, समाज में समानता का नया युग स्थापित करने वाले, हमारे पूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती अब सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाई जाएगी।"
सरकार के इस फैसले को दलित समाज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। देशभर में अंबेडकर जयंती हर साल बड़े उत्साह से मनाई जाती है, लेकिन अब इसे आधिकारिक सार्वजनिक अवकाश का दर्जा मिलने से इस दिन को और विशेष महत्व मिलेगा।
यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच डॉ. अंबेडकर की विरासत को लेकर राजनीतिक टकराव देखा जा रहा था। दोनों प्रमुख दल दलित समुदाय को साधने की कोशिश में अंबेडकर के विचारों और योगदान को प्रमुखता से उठा रहे थे।
डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी और जीवनभर सामाजिक समानता, दलित अधिकारों और शिक्षा के लिए संघर्ष किया। उनकी जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की मांग लंबे समय से की जा रही थी, जिसे अब केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है।
इस फैसले का देशभर में स्वागत किया जा रहा है, खासकर सामाजिक न्याय के समर्थकों और अंबेडकरवादियों द्वारा इसे ऐतिहासिक कदम बताया जा रहा है। कई राज्यों में पहले से ही 14 अप्रैल को अवकाश घोषित किया जाता था, लेकिन अब इसे पूरे देश में सरकारी स्तर पर मान्यता मिल गई है।