हिमाचल की छाया में संघर्ष: उत्तराखंड हिमस्खलन में 47 बचाए गए, 8 अब भी फंसे हुए
उत्तराखंड- उत्तराखंड के बर्फीले इलाकों में आई भयावह हिमस्खलन की घटना ने राहत कार्य में एक नया मोड़ ला दिया है। अब तक 47 कर्मचारियों को सुरक्षित रूप से बचा लिया गया है, जबकि 8 कर्मियों का पता अभी नहीं चल पाया है। भारी हिमपात और आने वाले संभावित हिमस्खलन की आशंका ने बचाव कार्य को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया है। यह हादसा उस समय घटा जब तीव्र बर्फबारी ने इलाके में गतिविधियों को लगभग स्थगित कर दिया था। स्थानीय अधिकारियों और बचाव दल ने तुरंत प्रभावित क्षेत्र में पहुंच कर बचाव कार्य प्रारंभ किया, लेकिन रात के अंधेरे और अत्यधिक बर्फबारी ने कार्य को बाधित कर दिया।
घटना स्थल पर पहुंचते ही बचाव दल ने बचाए गए कर्मचारियों को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान की और सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। rescuers ने बताया कि बचाव कार्य के दौरान बर्फ के तेज झटके और गिरती बर्फ की चुपके-चुपके से होने वाली दुर्घटनाओं से सावधानी बरतनी पड़ रही थी। अधिकारियों का कहना है कि बचाव दल निरंतर कोशिश कर रहा है, परंतु कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण कार्य धीमा हो गया है। इस दौरान मौसम में अचानक आई गिरावट ने बचाव मिशन के लिए खतरे के माहौल को और गंभीर बना दिया है।
स्थानीय प्रशासन ने बचाव कार्य के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, बर्फबारी के कारण उन स्थानों तक पहुंचना बेहद मुश्किल हो गया है जहाँ फंसे हुए कर्मचारियों का पता लगाया जाना है। सुरक्षा उपायों को ध्यान में रखते हुए, बचाव दल ने रात के समय कार्य रोक दिया है ताकि अंधेरे में होने वाली किसी भी अप्रत्याशित घटना से बचा जा सके। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि जैसे ही दिन की रोशनी लौटेगी, तुरंत बचाव कार्य फिर से शुरू कर दिया जाएगा।
इस दौरान प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को निरंतर जानकारी देने का आश्वासन भी दिया है। यह कदम परिवारों में बढ़ती चिंता को कम करने के लिए उठाया गया है। जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने मिलकर एक आपातकालीन कमेटी का गठन किया है, जिसके तहत बचाव कार्य को तेज करने और फंसे हुए कर्मियों के लिए आवश्यक सहायता सुनिश्चित करने की योजना बनाई जा रही है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि भारी बर्फबारी जारी रही तो आगे भी हिमस्खलन का खतरा बना रह सकता है, जिससे बचाव कार्य में और बाधाएँ आ सकती हैं।
घटना के दौरान प्रभावित इलाके में बिजली और संचार सुविधाओं में भी अस्थायी कटौती देखी गई थी, जिससे राहत कार्य में कुछ समय के लिए रुकावट आई। हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने तुरंत ही आवश्यक व्यवस्था की है और इस स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। प्रभावित क्षेत्रों के आसपास के लोगों को अस्थायी आश्रय प्रदान किया गया है और उनकी सुरक्षा के लिए अतिरिक्त इंतजाम किए गए हैं।
इस दुखद घटना की जानकारी मिलते ही राज्य सरकार ने पूरे बचाव अभियान पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया है। अधिकारियों का कहना है कि स्थानीय निवासियों की सहायता से बचाव कार्य को गति दी जा रही है। स्थिति पर निगरानी बनाए रखने के लिए प्रशासन ने क्षेत्रीय विशेषज्ञों और मौसम विभाग के विशेषज्ञों से भी सलाह ली है। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि परिस्थिति नियंत्रण में आने के बाद ही अगले कदमों की योजना बनाई जाएगी।
इस पूरे प्रयास में सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है समय की पाबंदी, क्योंकि बर्फबारी के साथ-साथ हिमस्खलन के जोखिम ने बचाव कार्य को अत्यंत संकटग्रस्त बना दिया है। प्रभावित परिवारों के लिए यह एक अत्यंत कठिन समय है और प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है कि जल्द से जल्द उन तक सुरक्षा और राहत सामग्री पहुंचाई जा सके।