बांग्लादेशी हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास कोर्ट में पेश, 51 वकील करेंगे सवाल-जवाब
ञाका - बांग्लादेश के चटगांव में इस्कॉन (ISKCON) के संगठन सचिव और प्रसिद्ध हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास को एक विवादास्पद राजद्रोह मामले में अदालत में पेश किया गया। इस मामले में आरोप लगाया गया है कि 25 अक्टूबर, 2024 को "सनातन जागरण मंच" द्वारा आयोजित एक रैली के दौरान, स्वतंत्रता स्तंभ पर राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर एक केसरिया ध्वज फहराया गया। इस घटना को बांग्लादेश के ध्वज नियमों का उल्लंघन माना गया है, जिससे सामाजिक और ऑनलाइन विरोध बढ़ा
चिन्मय कृष्ण दास का बचाव करने के लिए 51 वकीलों की एक टीम बनाई गई है। ये वकील अदालत में उनके पक्ष में सवाल-जवाब करेंगे और मामले के खिलाफ कानूनी तर्क प्रस्तुत करेंगे। बचाव पक्ष का दावा है कि यह मामला राजनीति से प्रेरित है और अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाने के लिए उठाया गया है। वकीलों का कहना है कि चिन्मय दास और उनके साथियों पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं
चटगांव के एक स्थानीय निवासी द्वारा दर्ज किए गए इस मामले में 19 लोगों को आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि रैली के दौरान स्वतंत्रता स्तंभ पर केसरिया झंडा राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर फहराया गया था। इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों ने तीखी प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न कीं। पुलिस ने मामले में दो लोगों को तुरंत गिरफ्तार भी किया था
इस मामले को लेकर हिंदू समुदाय में आक्रोश है। इस्कॉन और सनातन जागरण मंच के सदस्यों ने इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बताते हुए विरोध प्रदर्शन किए। चटगांव में आयोजित एक बड़े प्रदर्शन में आरोपों को वापस लेने की मांग की गई। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि आरोप वापस नहीं लिए गए तो और बड़े आंदोलन किए जाएंगे
यह मामला बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकार और उनकी सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े करता है। इस्कॉन के नेताओं ने प्रशासन से न्याय की अपील करते हुए शांति बनाए रखने का आग्रह किया है। अदालती कार्यवाही में 51 वकीलों की भूमिका ने इस मामले को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है, जो कानूनी पारदर्शिता और अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए एक अहम परीक्षा बन सकता है।